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जानिए गले में टॉन्सिल्स क्या और कैसे होता है?

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आप सभी ने अपने बचपन में कभी न कभी इसका अनुभव जरूर किया होगा, जिसमे हमारे टॉन्सिल्स (Tonsils Meaning in Hindi)में सूजन आ जाती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बहुत बार हम बिना सोचे समझे ठंडा गरम खा लेते हैं, जिससे हमारे टॉन्सिल्स में सूजन आ जाती है। यह थोड़ा दर्दनाक हो सकता है और इस दौरान गले में दर्द होना सबसे आम लक्षण होता है। वैसे तो इसके इलाज के लिए आप अपने डॉक्टर के पास जा सकते हैं परन्तु आप अपने घर पर भी कुछ साबधानियॉ बरत कर और कुछ घरेलू नुस्खों की सहायता से इसका इलाज कर सकते हैं।हमारे भारत में होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है और ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता की दरअसल टॉसिल्स सूजते क्यों हैं? यहां इस लेख में हमने इसके बारे में पूरा विवरण दिया है- यह कैसे और क्यों होता है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।

टॉन्सिल्स हिंदी में(tonsils kya hota hai) | Tonsils Meaning in Hindi

टॉन्सिल्स क्या होते हैं (tonsil kya hota hai)? हमारे गले में पीछे की तरफ 2 लिम्फ नोड्स होते हैं जो हमारे शरीर में इन्फेक्शन को रोककर हमारे शरीर के रक्षा तंत्र की तरह कार्य करते हैं। जब हमारे इसमें इन्फेक्शन हो जाता है तो उस समस्या या कंडीशन को टॉंसिलिटिस कहते हैं। हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम के हिस्से के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें वे श्वसन पथ और शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचने से पहले वायरल और जीवाणु संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसमें कुछ सेल्स होती हैं जो हमारे शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी इन्फेक्शन को रोकती हैं। हालांकि, कभी-कभी, टॉन्सिल्स स्वयं उसी जीवाणुओं/जर्म्स का शिकार हो जाते हैं जिन्हे वो हमारे शरीर में जाने से रोकने के लिए काम करते हैं। जब ऐसा होता है, तो इसमें सूजन आ जाती हैं, जिससे दर्द और असुविधा होती है। कुछ मामलों में, इसका दर्द असहनीय हो सकता है और आपके चेहरे पर इसके लक्षण सफेद दागों के रूप में दिखाई दे सकते हैं, जो इन्फेक्शन का संकेत देते हैं।

टॉन्सिल्स के प्रकार | Types of Tonsils in Hindi

उनके लक्षणों और सही होने के समय के अनुसार कई प्रकार के होते है-
  1. एक्यूट टॉन्सिल्स: इस प्रकार के लक्षण 3-4 दिन में चले जाते हैं या ज्यादा सेक्स ज्यादा २ हफ्ते तक रहते हैं।
  2. आवर्ती टॉन्सिल्स: इस प्रकार के कोई व्यक्ति एक साल में कई बार लक्ष्णों को महसूस कर सकता है।
  3. क्रोनिक टॉन्सिल्स: इस प्रकार के व्यक्तिके गले में बहुत सूजन आ जाती है और साथ ही साथ साँसों से बधबू आने लगती है।
इसके प्रकार की जाँच करने से आपके डॉक्टर को इसके इलाज में सहायता मिलती है।

टॉन्सिल्स होने के कारण | Causes of Tonsils in Hindi

हमारे शरीर में बैक्टीरिया को रोकते हैं। ये व्हाइट ब्लड सेल्स बनाकर हमारी बॉडी को इन्फेक्शन से बचाते हैं। इसका मुख्य कार्य उन बैक्टीरिया और जर्म्स को रोकना जो हमारे मुंह के माध्यम शरीर में प्रवेश करते हैं। परन्तु हमारे टॉन्सिल्स भी इन बैक्टीरिया से कभी कभी लड़ नहीं पाते और इन्फेक्शन हो जाता है।टॉंसिलिटिस होने का मुख्य कारण वायरस से इन्फेक्शन होना है जो साधारण बुखार, ठण्ड लगने की वजह से, और किसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन जैसे गला खराब होना इत्यादि के कारण हो सकता है। AAFP के अनुसार करीबन 15 से 30% तक टॉन्सिल्स बैक्टीरिया की वजह से होता है।वायरस टॉन्सिल्स होने का सबसे आम कारण है। एपस्टीन-बार वायरस के कारण हो सकते हैं, जो मोनोन्यूक्लियोसिस का भी कारण होता है।

टॉन्सिल्स के लक्षण | Tonsils ke Lakshan

tonsils meaning in hindi
 
वैसे तो कई प्रकार के होते हैं, परन्तु कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं, जिनमें शामिल हैं:
  • गले में सूजन
  • निगलने में कठिनाई होना
  • खराश होना
  • सांसों की बदबू
  • बुखार
  • ठंड लगना
  • कान में दर्द
  • पेट दर्द
  • सिर दर्द
  • गर्दन अकड़ जाना
  • लिम्फ नोड्स में सूजन के कारण जबड़े और गर्दन में लचकता आ जाना
  • लाल और सूजे हुए
  • सफेद या पीले रंग के धब्बे
  • उलटी होना
  • थकान
  • खाँसी, सोने में परेशानी होना 
  • जी मिचलाना
  • मुंह खोलने में परेशानी होना
बहुत छोटे बच्चों में, आप चिड़चिड़ापन, भूख कम लगना, या मुंह से अत्यधिक लार गिरना इत्यादि में वृद्धि हो सकती है।
 
दो प्रकार के टॉंसिलिटिस होते हैं उनके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
  • आवर्ती टॉंसिलिटिस: इसमें एक वर्ष में कई बार टॉन्सिल्स होते हैं जो बहुत ही तीव्र होते हैं
  • क्रोनिक टॉंसिलिटिस: इसमें लम्बे समय के लिए होते हैं।

इसके कुछ अन्य लक्षण भी होते है जिसमें निम्न शामिल हैं:

टॉन्सिल्स की पहचान कैसे करें? | How Tonsils is diagnosed in Hindi?

Test for Tonsils in Hindi : इसकी पहचान करने के लिए आपका डॉक्टर आपके गले का अच्छे से परीक्षण करेगा। इस परीक्षण को करने के लिए डॉक्टर आपके गले के पीछे वाले हिस्से से थोड़ा सैंपल लेगा और इस सैंपल को लेबोरटरी भेजा जायेगा। इस सैम्पल के परीक्षण से यह पता चल जायेगा की आपके गले में इन्फेक्शन या इसके सूजने का असली कारण क्या है।इसके अलावा आपका डॉक्टर आपकी ब्लड सेल काउंट भी कर सकता है। इसमें वह कुछ प्रकार की ब्लड सेल्स को काउंट करने के लिए आपका थोड़ी सी मात्रा में ब्लड लेगा, इस सैंपल से इन्फेक्शन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल सकती है। अगर लिया गया सैंपल सही नहीं है तो उसके अनुसार आपका डॉक्टर आपके लिए सही इलाज निर्धारित करेगा।

टॉन्सिल्स का इलाज | Tonsils Treatment in Hindi

  • बहुत हल्के इसमें इलाज की ऐसी कोई खास जरूरत नहीं होती खासकर जो सर्दी के वायरस के कारण हुआ हो।
  • अगर थोड़ा ज्यादा है तो इसके लिए आप एंटीबायोटिक्स या टॉंसिलेक्टोमी ले सकते हैं।
  • किसी भी प्रकार के बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, जरूरी है की आप इसका कोर्स पूरा करें। साथ में आपका डॉक्टर समय से ये भी जाँच करेगा की ये दवाएँ कितनी असरदार हैं।
  • सर्जरी के द्वारा इसका इलाज करने की प्रक्रिया को टॉंसिलेक्टोमी कहा जाता है। पहले ये इनके इलाज के लिए आम प्रक्रिया हुआ करती थी। आजकल टॉंसिलेक्टोमी को केवल क्रोनिक या आवर्ती इसके इलाज के लिए सुझाया जाता है। इसके अलावा सर्जरी की सलाह तब दी जाती है जब कोई भी इलाज असर नहीं करता या किसी प्रकार की कोई परेशानी होती है।
  • अगर टॉंसिलिटिस के कारण डिहाइड्रेशन हो जाता है तो अंतःशिरा तरल पदार्थ दिया जाता है। गले में सूजन को कम करने के लिए दर्द की दवाई भी इसमें आराम पहुंचाती है।

टॉन्सिल्स के घरेलू इलाज - Tonsils Home Remedy in Hindi

इन उपचारों के अलावा कुछ घरेलू उपायों को करके भी इससे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके इलाज के लिए कुछ घरेलू इलाज इस प्रकार हैं-
नमक का पानी: हल्के गुनगुने पानी से गरारे इसके इलाज के लिए सबसे अच्छा और आसान नुस्खा (Tonsils Home Remedy in Hindi) है। गरम पानी टॉन्सिल्स की सूजन में आराम पहुंचता है और नमक बैक्टीरिया और जर्म्स को खत्म करने में मदद करता है। साथ ही साथ नमक मुंह की जलन को भी काम करता है और आराम पहुंचता है।
तुलसी: पवित्र तुलसी इसको सही करने का एक अनोखा और अनूठा इलाज है। तुलसी में एंटीवायरल और अज्वलनशील गुण होते हैं जो सूजन को कम करने में और दर्द में आराम पहुंचाने में काम आते हैं। तुलसी को उबालकर बने पेय जिसमे 2 ग्राम काली मिर्च हो, पीने से आराम मिलता है। इसके अलावा यह पेय आपकी इम्युनिटी को अच्छा करता है और एंटीबैक्टीरियल तत्व की तरह काम करता है।दालचीनी: दालचीनी का इस्तेमाल भी इसके इलाज के लिए किया जाता है। दालचीनी में एंटीमाइक्रोबिअल गुण होते हैं जो बैक्टीरिया के विकास को रोकने में सहायक होती है और सूजन, दर्द और जलन को कम करने में मदद करती है। इसके लिए 1 गिलास गरम पानी में 1 चम्मच दालचीनी और 2 चम्मच शहद डालकर मिलाये और गरम गरम पियें।
हल्दी: हल्दी के अज्वलनशील और एंटीसेप्टिक गुण के कारण यह इसके कारण हुए इन्फेक्शन में मदद करती है और इसके दुष्परिणामों से बचाती है। इसको सही करने के लिए 1 गिलास गरम पानी में 1/2 चम्मच हल्दी और 1/2 चम्मच नमक मिलाकर उस पानी से गरारे करने से इसमें आराम मिलता है। रात को सोने से पहले इस नुस्खे को अपनाने से बहुत ही अच्छे परिणाम मिलते हैं।पानी के स्थान पर आप दूध का भी प्रयोग कर सकते हैं रात को हल्दी वाला दूध पीने से भी 2-3 दिन में यह सही हो जाते हैं।
मेंथी: मेथी में एंटीबैक्टेरियल गन होते है जो इसको इलाज करने के लिए उत्कृष्ट उपाय बनाते हैं क्योंकि यह इसके लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सकता है। इसके अलावा, मेथी में मौजूद अज्वलनशील गुण आपको दर्द और सूजन से तुरंत राहत देंगे।
तरल पदार्थ: बहुत सारे तरल पदार्थ पीना गले को सूखने से और अधिक असहज होने से रोक सकता है। जब शरीर इन्फेक्शन से लड़ रहा होता है, तो उसे सामान्य से अधिक हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है। ऐसे में गर्म, कैफीन मुक्त पेय भी इसमें आराम पहुँचा सकते हैं।बहुत बार इसकी सूजन सांस लेने में परेशानी होने का कारण बन जाती है और कई बार सोने में भी परेशानी होती है। अगर टॉंसिलिटिस का इलाज न किया जाये तो इसके आस पास के और पीछे के क्षेत्र में भी इन्फेक्शन हो सकता है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण टॉंसिलिटिस के लक्षण आमतौर पर एंटीबायोटिक्स लेने के कुछ दिनों बाद बेहतर होने लगते हैं।
 

टॉन्सिल कितने दिन में ठीक होता है?

वायरल टॉन्सिलिटिस के अधिकांश मामले कुछ दिनों में तरल पदार्थ और भरपूर आराम से साफ हो जाते हैं। एंटीबायोटिक्स आमतौर पर बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस (स्ट्रेप थ्रोट) को लगभग 10 दिनों में खत्म कर देते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

गले में टॉन्सिल होने का क्या कारण होता है?

टॉन्सिलिटिस अक्सर सामान्य वायरस के कारण होता है, लेकिन जीवाणु संक्रमण भी इसका कारण हो सकता है। टॉन्सिलिटिस पैदा करने वाला सबसे आम जीवाणु स्ट्रेप्टोकोकस पाइोजेन्स (ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस) है, जीवाणु जो स्ट्रेप थ्रोट का कारण बनता है। स्ट्रेप और अन्य बैक्टीरिया के अन्य तनाव भी टॉन्सिलिटिस का कारण बन सकते हैं।

टॉन्सिल्स क्या होता है?

टॉन्सिल मुंह के पीछे और गले के ऊपर लिम्फ नोड्स होते हैं। वे शरीर में संक्रमण को रोकने के लिए बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं को छानने में मदद करते हैं। एक जीवाणु या वायरल संक्रमण टॉन्सिलिटिस का कारण बन सकता है। स्ट्रेप थ्रोट एक सामान्य कारण है। संक्रमण गले के अन्य हिस्सों में भी देखा जा सकता है।

गले में टॉन्सिल हो जाए तो क्या करना चाहिए?

टॉन्सिलिटिस का इलाज खुद कैसे करें १. बहुत आराम करे। २. गले को शांत करने के लिए ठंडा पेय पिएं। ३. पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन लें (16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन न दें) ४. गर्म नमकीन पानी से गरारे करें (बच्चों को यह कोशिश नहीं करनी चाहिए)